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Friday, October 7, 2011
जो लम्हे हैं फुर्सत के
जीने दो उन लम्हों को
क्या पता कब इन लम्हों को
वक़्त की नज़र लग जाए
Tuesday, February 15, 2011
Photo 2
दो जिंदगियां मिली
एक मंजिल मिली
अकेले राही को एक हमसफ़र मिला
नदी को अपना किनारा मिला
दूर तलक जाना है
कुछ फासले निभाना है
कुछ दूर तलक जाना है
Sunday, February 13, 2011
Moi प्रथम दिवस
Starting with blogging on this day 14th of Feb.
फूलों की खुशबु और भवरे का आना
रहा है ये दस्तूर सदियों पुराना
कुछ तो सोचो ऐ बेरहम हसीनों
ये भवरे न होते तो कौन करता
इन हसीं फूलों की तारीफ़
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