Tuesday, February 15, 2011

Photo 2


दो जिंदगियां मिली
एक मंजिल मिली
अकेले राही को एक हमसफ़र मिला
नदी को अपना किनारा मिला
दूर तलक जाना है
कुछ फासले निभाना है
कुछ दूर तलक जाना है



Sunday, February 13, 2011

Moi प्रथम दिवस

Starting with blogging on this day 14th of Feb.

फूलों की खुशबु और भवरे का आना 
रहा है ये दस्तूर सदियों पुराना 
कुछ तो सोचो ऐ बेरहम हसीनों 
ये भवरे न होते तो कौन करता
इन हसीं फूलों की तारीफ़